कल रात प्रभु मेरे सपने में आए ,
मुझे देख वे मंद - मंद मुस्काए
और बोले - उठो वत्स ! देखो
मैं तुम्हारे लिए कुछ लाया हूँ
मैं उठा और मैंने देखा की ......
जो कुछ मैंने जीवन में चाहा था ,
जिसके लिए मैंने वर्षो तक
खुद कों संघर्षों से तपाया था
वो सब कुछ हकीकत में मेरे पास था
जिसका कल तक मुझे सिर्फ अहसास था
मैंने विस्मित होकर पूछा - हे प्रभु !
ये आपकी कैसी अदभुत लीला हैं
प्रभु बोले - वत्स ! ये सब तो
तुम्हें , तुम्हारे कर्मों से मिला हैं
मैंने कहा - भगवन !
अभी कल तक तो
मैं अपनी लगातार
विफलताओं से हताश - निराश था
कोशिशे लाख की , क्यूंकि मुझे
आप पर पूर्ण विश्वास था
कर्म करना मेरे हाथ में है , फल नहीं
प्रभु बोले - आज तुम्हारा है , कल नहीं
इसलिए
उठो ! आज के तुम बनो
कल तुम्हारा होगा
रहोगे कर्मशील सदा तो
हर पल जीवन में संग
खुशियों का पिटारा होगा
तुम्हारा अपने कर्म के प्रति समर्पण
देखकर ही , मैं तुम्हारे पास आया हूँ
मैं तो हूँ निर्मोही वत्स !
परन्तु तुम्हारे लिए , अपने साथ
जीवन की हर ख़ुशी लाया हूँ
COPYRIGHT दिलीप काला ' अजनबी ' - 2010